Friday, January 14, 2011

श्री राधे

 श्री राधे
हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

हे श्यामसुन्दर मैं आपको कभी भूलूं नहीं - मैं मनसा-वाचा-कर्मणा आपमें चित्त लगाये रहूँ -स्वीट राधिका राधे-राधे

 हरेकृष्ण-हरेकृष्ण कृष्ण-कृष्ण हरे-हरे !   
हरेराम-हरेराम राम-राम हरे-हरे !!


श्रीजी
"श्री रामचरितमानस"
गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज विरचित अनुपम "भक्ति काव्य ग्रन्थ" मित्रो,एवं श्री राम भक्तजन मैं स्वीटराधिका अपने कथनानुसार  कम्युनिटी "रामचरितमानस" में श्रीमद रामचरितमानस का प्रकाशन एवं भाष्य आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रही हूँ ..आशा है कि आपको इसमें श्री सीतारामजी के प्रेम-भक्ति की सुरसरि धारा प्राप्त होगी.मैं यथा संभव प्रयत्न करुँगी कि आपके लिए यह भेंट  नित-प्रति देती रहूँ-आओ सर्वश्रेष्ठ निधि श्रीराम चरित का पान करें- कम्युनिटी से जुड़ने के लिए प्रस्तुत (नीचे) लिंक-बार पर क्लिक करें - 
मुझे प्रसन्नता होगी यदि आप मेरे द्वारा कहे भाष्य पर कोई शंका होने पर मुझसे पूछेंगे
सर्व-प्रथम,माता श्री जानकी जी के पावन युगल चरण कमलों में प्रणाम कर..गोस्वामी जी सहित सभी भगवद भक्तों का स्मरण-अभिनन्दन कर करुना-निधान भक्त-वत्सल श्री जानकी-जीवन श्री शिव मानस-हंस नीलमणि भगवान श्री दशरथ नंदन -संकोची नाथ श्रीरामजी के चरणों में निवेदन करती हूँ कि हेनाथ! मेरा मनोरथ सिद्ध हो ,इस कलियुग के स्वरुप इंटरनेट पर भगवान श्री सीता-राम प्रेम-धारा सभी भक्तों-संतों को प्राप्त होती रहे -जय-जय सीताराम

मित्रो भगवान श्री रामजी के दर्शन कर महाराज जनक (माता सीताजी के पिता ) अनिर्वचनीय ब्रह्म ज्ञान को भूल राम प्रेम -राम नन्द में मगन हो उठते हैं , महाराज जनक का एक नाम विदेह भी है -महाराज जनक देह मोह से रहित परम योगी हैं जहाँ सोअहम-शिवोअहम की उत्कृष्ट भावना है परन्तु भगवान श्री राम-लक्ष्मण की रूप झांकी को निहार वे इस ब्रह्म सुख को छोटा समझ राम दर्शन के महा आनंद में गोता लगाने लगते हैं अतः क्यों न इस परम आनंद लाभ श्री राम दर्शन आनंद को हम भी लूटें ...राम दर्शन योगी-भोगी सर्व को यथा भावना आनंद प्रदत्त करता है -जय-जय सियाराम 
   भक्त वांछाकल्पतरु कौसल्या नंदन भगवान श्री राम एवं श्री रामानुज भक्त श्री लखन लाल जी के दर्शन कर महाराज जनक जी ...मन में गुन्थित कर रहे हैं ..
"इन्है देख मन अति अनुरागा -बरबस ब्रह्म सुखहि मन त्यागा " 
मन में विदेह्जी(महाराज जनक जी ) कह रहे हैं कि आज इन दोंनो नयनाभिराम श्री राम-लक्ष्मन को देख-देह मोह से परे सोअहम रूपी ब्रह्म दर्शन से मन उचाटित हो उठा है 
..आज नयनों में सच्ची शीतलता प्राप्त हो कर मन को मुदित कर परमानन्द प्रदान कर रही है  
...आज साक्षात् ब्रह्म को सम्मुख देख-अनुभव  कर रहे हैं
....प्रेम से बोलो जय सिया-राम ....राधे-राधे